ना जाने हम कब बड़े हो गए ? स्कूल के दिन न जाने कहाँ खो गए ? दोस्तों की बातें जब भी याद आती है । आँखों में नमी सी छा जाती है । वो दोस्तों की गपसप, वो दोस्तों से लड़ना । टीचर के डाटने पर, छुप-छुप के हँसना । हर राह में दोस्तों का साथ निभाना । सही और गलत की पहचान कराना । वो अपना लंच छुपा कर खाना । वो दोस्तों का लंच झट से चट कर जाना । वो दोस्त के बीमार होने पर, उसको देखने जाना । वो उसका छुटा हुआ होमवर्क, खुद करके टीचर को दिखाना । कभी-कभी कोई बहाना बनाकर स्कूल न जाना | और स्कूल जाते हीं छुट्टी होने की राह देखना | कोई शरारत करके मासूम सा चेहरा बनाना | सबसे छुपकर कक्षा में उत्पात मचाना | कभी-कभी किसी दोस्त को मिलकर सताना | अपने दोस्त के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाना | दोस्तों के साथ हर दिन स्कूल आना-जाना | कभी-कभी घर देर पहुँचने पर माँ की डांट खाना | वो स्कूल के पल लौटकर ना आएंगे । हम बस उनको याद करके ही खुश हो जाएंगे ।
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Showing posts from June, 2017
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आओ थोडा हँस लें सोचिए...... यदि प्रधान मन्त्री मोदी जी कह दें कि : शौचालय जाने के बाद हाथ साबुन से धोना आवश्यक है । *तो कुछ नेताओं की प्रतिक्रिया इस प्रकार हो सकती है । *केजरीवाल-* मोदी ने साबुन कम्पनियों से रुपये लिये हैं ! *राहुल गाँधी-* मोदीजी गरीबों का साबुन खर्च करवाना चाहते हैं ! *ओवैसी-* मैं हाथ साबुन से नहीं धोऊँगा । ऐसा संविधान में कहीं नहीं लिखा है , मेरे गर्दन पर चाकू भी रखोगे तब भी नहीं ! *मायावती-* दलितों को आरक्षण मिलना चाहिए केवल हफ्ते में एक बार हाथ साबुन से धोने का ! *कपिल सिब्बल-* शौचालय मेरा , शौच मेरी , हाथ मेरा , मैं क्यों धोऊँ ? *मुलायम-* मेरे होते हुए U.P. वालों को हाथ धोने की जरूरत नहीं है ! कोई माई का लाल ऐसा नहीं करा सकता है ! *गिरिराज-* जो साबुन से हाथ नहीं धोना चाहते वे पाकिस्तान चले जायें ! और *मुकेश अंबानी-* "स्वस्थ राष्ट्र के स्नान की शुरुआत , जिओ साबुन के साथ । 'एक साबुन पर 500 MB 4 जी डाटा फ्री।'
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ना जाने हम कब बड़े हो गए ? स्कूल के दिन न जाने कहाँ खो गए ? दोस्तों की बातें जब भी याद आती है । आँखों में नमी सी छा जाती है । वो दोस्तों की गपसप, वो दोस्तों से लड़ना । टीचर के डाटने पर, छुप-छुप के हँसना । हर राह में दोस्तों का साथ निभाना । सही और गलत की पहचान कराना । वो अपना लंच छुपा कर खाना । वो दोस्तों का लंच झट से चट कर जाना । वो दोस्त के बीमार होने पर, उसको देखने जाना । वो उसका छुटा हुआ होमवर्क, खुद करके टीचर को दिखाना । कभी-कभी कोई बहाना बनाकर स्कूल न जाना | और स्कूल जाते हीं छुट्टी होने की राह देखना | कोई शरारत करके मासूम सा चेहरा बनाना | सबसे छुपकर कक्षा में उत्पात मचाना | कभी-कभी किसी दोस्त को मिलकर सताना | अपने दोस्त के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाना | दोस्तों के साथ हर दिन स्कूल आना-जाना | कभी-कभी घर देर पहुँचने पर माँ की डांट खाना | वो स्कूल के पल लौटकर ना आएंगे । हम बस उनको याद करके ही खुश हो जाएंगे ।
LoveGuru G.j
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मालूम नही किसने लिखा है, पर क्या खूब लिखा है.. नफरतों का असर देखो, जानवरों का बटंवारा हो गया, गाय हिन्दू हो गयी ; और बकरा मुसलमान हो गया. मंदिरो मे हिंदू देखे, मस्जिदो में मुसलमान, शाम को जब मयखाने गया ; तब जाकर दिखे इन्सान. ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए न जाने कब नारियल हिन्दू और खजूर मुसलमान हो गए.. न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं. अंदाज ज़माने को खलता है. की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है...... मैं अमन पसंद हूँ , मेरे शहर में दंगा रहने दो... लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो.... जिस तरह से धर्म मजहब के नाम पे हम रंगों को भी बांटते जा रहे है कि हरा मुस्लिम का है और लाल हिन्दू का रंग है तो वो दिन दूर नही जब सारी की सारी हरी सब्ज़ियाँ मुस्लिमों की हों जाएँगी और हिंदुओं के हिस्से बस टमाटर,गाजर और चुकुन्दर ही आएंगे! अब ये समझ नहीं आ रहा कि ये तरबूज किसके हिस्से में आएगा ? ये तो बेचारा ऊ...